इन दिनों एफ़.एम.स्टेशनों की बहार है देश के कई शहरों में.मेरे पास हैं तीन तीन ट्रांज़िस्टर सैट ..सब एक से एक बेहतर ब्रांड. माय एफ़ एम....बिग एफ़.एम....रेडियो मिर्ची तीनों की फ़्रीक्वेंसी आसपास है.इसी के पास है संगीत के सुनहरे दौर का साथी विविध-भारती..जब इतने सारे विकल्प हो गए संगीत के तो लगता था कि ज़िन्दगी ख़ुशनुमा हो जाएगी,लेकिन बुरे हाल हैं इन दिनो.सभी की फ़्रीक्वेंसी दूरदर्शन के एक ही टाँवर से वितरित हो रही है ..रेडियो सैट आँन करो तो लगता है सारा संगीत भेलपूरी बन गया है. हम ग़रीब विविध भारती के दौर वाले..पर कभी उसमें घुस रहा है माय एफ़.एम तो कभी रेडियो मिर्ची तो कभी बिग एफ़.एम.यूँ लगता है जैसे एक अपार्टमेंट के तीन फ़्लैट्स के रसोईघरों का धुँआ नाक में घुस आया है. ये संगीतप्रेमियों के कानों का संक्रमण काल है ये. तीनों एफ़.एम.फ़्रीक्वेंसीज़ का भी बुरी तरह घालमेल हो रहा है...तीनो पर एक जैसा धिकचिक धिकचिक शोर...ग़नीमत से या आपकी क़िस्मत से कभी विविध भारती ठीक से सुनाई देने लग जाए तो लगता है बहुत दिनों बाद अस्पताल से घर लौटे हों....प्रसार भारती नाम का ठेकेदार लाया है इन एफ़.एम. चैनल्स को मैदान में और खु़द अपनी विविध भारती की हत्या कर बैठा है...किसी दिन याद कीजियेगा एक पंक्ति का ये सच ...विविध भारती भी किसी मुकेश अंबानी को बेच दी गई..
कहीं सुना आपने कि किसी व्यापारी ने अपनी चलती दुकान में ही दो पडौसी दुकानदारों को बिठा लिया और कहा आओ दोस्त तुम भी मेरी छत के तले ही अपना वही माल भी बेचो जो मै बेच रहा हूँ..प्रसार भारती ऐसा ही बेवकूफ़ बनिया साबित हो रहा है.
Saturday, August 11, 2007
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
3 comments:
अभी आया नारद जी.
बहुत सही. कान के लिए संक्रमण काल.
गाने सुनने पर आनंद कम गाने सुनानेवाली की मूर्खतापूर्ण बातों पर गुस्सा अधिक आता है.
स्वागत है आपका हिन्दी चिट्ठाकारी में. शुभकामनायें.
Post a Comment