घर का बुज़ुर्ग साठ का होने वाला हो तो अगली पीढ़ी कितनी प्रसन्न नज़र आती है. आजकल तो षष्टिपूर्ति समारोहों की तैयारियों के निमंत्रण पत्र छपते हैं, पार्टियाँ दी जातीं हैं ...संगीत के आयोजन होते हैं..खानेपीने की महफ़िलें सजती हैं.. तीन दिन बाद भारत नाम का बाबा पूरे साठ साल का होने वाला है लेकिन देश में किसी तरह के कोई जश्न या उल्लास का नामोनिशन नहीं है.हमारे राजनेता कम से कम देश की आज़ादी का पर्व को तो मिल कर मनाते ..यहाँ कहाँ आड़े आ गईं राजनैतिक प्रतिबध्दताएँ ? पार्टी पाँलिटक्स ? विचारधाराएँ ? पूरे देश के स्तर पर कोई माहौल नज़र नहीं आ रहा. लगता है एक और पन्द्रह अगस्त की तरह बीत जाएगी यह विशिष्ट तिथि.हीरक जयंती जैसा कोई जोश ही नहीं देश में. फ़िर एक बार स्कूली बच्चों को पेल कर और सैनिकों को ठेल कर प्रभारी मंत्री ज़िला मुख्यालय पर सलामी ले लेंगे और फ़िर वैसे ही दूरदर्शन प्रसारित कर देगा लाल क़िले की प्राचीर से प्रधानमंत्री का राष्ट्र के नाम संबोधन..और लीजिये साहब मन गई भारत की हीरक जयंती. सामान्य आदमी के स्तर पर कोई जोश या उत्साह दिखाई नहीं देता . न्यू ईयर,वैलेंटाईन डे और फ़्रेण्डशिप डे को उन्माद की हद तक ले जाने वाले पीढ़ी को कहाँ फ़ुरसत की मदर इण्डिया की डायमण्ड जुबली सेलिब्रेट करे...कोई आव्हान ..देश में कोई रचनात्मकता या कोई ख़ुशी बन नहीं पा रही है .पाश्चात्य सभ्यता को कोसने वाले लोगों ! कभी टाइम मिले तो देखियेगा अमेरिका अपना राष्ट्रीय पर्व कैसे मनाता है ; आमजन ऐसे जुटते हैं मानों उनके परिवार का प्रसंग हो . दोगली मानसिकता वाले देश के स्वार्थी लोग एक बार फ़िर से भारत को ग़ुलाम बना कर छोडे़गे.लगता है रानी लक्ष्मीबाई,तात्या टोपे,सुभाष बाबू, भगतसिंह,आज़ाद,सरदार पटेल, अज़ीमुल्ला खाँ,अमरसिंह, कुवँरसिंह और अशफ़ाकउल्ला की क़ुरबानियों को मध्दिम करने की साज़िश रची जा रही है..
ज़रा हम अपने दिल पर हाथ रख कर पूछें कि पद्रह अगस्त के झंण्डा वंदन कार्यक्रम और किसी शाँपिंग माँल की सेल दोनो में से कहाँ जाना चाहेंगे ....तो निश्चित रूप जवाब शाँपिंग माँल के पक्ष में ही आएगा...भारत माता लानत है तेरे देशवासियों पर.
Sunday, August 12, 2007
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