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Monday, August 13, 2007

पन्द्र्ह अगस्त...कुछ सुरीले उत्सव विकल्प

एक प्यारी छुट्टी आ गई बहुत दिनो बाद
राष्ट्र-प्रेम वेम ....छड यार
कुछ सुरीली बात बता
कौन जाए झंण्डा तानने
ये नेताओं का काम है भई

तो ले सुन क्या क्या कर सकते हैं पन्द्रह अगस्त को...

फ़ार्म हाउस चले जाओ...पिकनिक मनाओ

बाज़ार चले जाओ ...सेल चल रही है जगह जगह
ख़रीदारी में छूट ...लूट सके तो लूट

दोस्तों को घर बुला लो
पत्ते खेलो...आउटडोर गेम हो नहीं सकता..
बारिश की वजह से कीचड़ है काँलोनी में

सी.डी.ले आओ...पिक्चर देखो

शादी के एलबम की धूल झाड़ लो

ज़ोर ज़ोर से म्युज़िक सिस्टम चलाओ
नाचो..कूदो...चिल्ल्लाओ.

किसी से पैसे वसूलना हो ..
धावा बोल दो...पंद्रह अगस्त की छुट्टी रहती है
घर ही मिलेगा...धर लो अगले को

लाँग ड्राइव पर निकल जाओ
हाई-वे पर भुट्टे सिकवाओ
नमक मिर्च लगा कर खाओ

पुरानी पत्रिकाएँ निकालो
किसे याद है किसकी कविता है
अपने नाम से ब्लाँग लिख डालो

पंद्र्ह अगस्त तो आते ही रहती है
किसको पड़ी है यार देशप्रेम की
निहायत ही हिप्पोक्रेटिक काम है
पैमाने टकाराओ
कहो...
चीयर्स....
लाँग लिव इंडिया...
सब करो
सब कहो
बस...सच मत कहो !

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