Monday, April 28, 2008
कहाँ से आए बदरा जैसा सुरीला गीत रचने वाली...इंदु जैन नहीं रहीं
फ़िल्म थी चश्मेबद्दूर और गाना आपका जाना-पहचाना...कहाँ से आए बदरा। येशुदास और हेमंती शुक्ला का गाया हुआ।गीतकार थीं इंदु जैन हालाकि कविता क्ष्रेत्र में उनकी शिनाख़्त इस गीत से कहीं ज़्यादा बडी थी फ़िर भी इस गीत का जिक्र इसलिये कर दिया कि कई फ़िल्म संगीत प्रेमियों तक भी ये ख़बर पहुँच जाए।इसी सुरीले गीत को रचने वाली कवयित्रि श्रीमती इंदु जैन नहीं रहीं।दिल्ली में उनका निधन हुआ. हिंदी साहित्य परिदृष्य पर बरसों सक्रिय रहीं इंदुजी एक ज़माने में दूरदर्शन की साहित्यिक गोष्ठियों में बहुत नजर आतीं थीं और हाँ शाम को जैसे ही दूरदर्शन का प्रसारण शुरू होता तो बच्चों के लिये एक प्यारा सा कार्यक्रम आता था ......उसमें लम्बे और खुले बालों और माथे पर बडी सी बिंदी लगाए बच्चों बतियाती महिला इंदु जैन ही हुआ करतीं थी.दूरदर्शन के लिये उन्होनें कई हस्तियों से इंटरव्यू भी लिये.इंदु जैन उन महिलाओं में शामिल रहीं जिन्होने शिद्दत से औरत के अस्तित्व को मान्यता दिलवाई.
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
7 comments:
हमारी श्रद्धांजली ।
ये गीत मुझे अपने दिल की गहराइयों से प्यारा है. शुद्ध हिन्दी में ये रचना को येसुदास जी ने अपनी सुरीली आवाज़ में क्या खूब गाया है.
जब इस गीत की रचयिता नही रहीं तब जाकर मैं जान पाया कि इसे उन्होंने लिखा था. स्व. इंदु जैन को मेरी भावभीनी श्रद्धांजलि.
हमारी विनम्र श्रृद्धांजलि !
अन्नपूर्णा
इंदु जैन जी के बहुत से गीत सुने हैं.
और आज यह जान कर की वह अब हमारे बीच नहीं रहीं बहुत दुःख हुआ.हमारी तरफ से उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि
अरे !
अपने यात्रा-संस्मरण पर केन्द्रित नए अंक में हम उनकी कविताएं प्रकाशित कर रहे हैं जो उन्होंने काफ़ी पहले भेजी थीं .
हार्दिक श्रद्धांजलि !
इंदु जी को श्रद्धांजलि. वह अच्छी कवि थीं.
Post a Comment