कहीं डाँक्टर लव के नाम से तो कहीं तंदूरी नाइट्स के नाम से रात दस बजे के बाद एफ़.एम.स्टेशन्स लेट नाइट शोज़ कर रहे हैं.अब डाँक्टर लव को लें ..इसमें आर.जे. बताती है कि प्यार कैसे किया जाए.तंदूरी नाइट्स आग्रह करता है कि आप अपने दिल के राज़ आर.जे.के साथ खोलें.इसमें ज़्यादातर काँलर्स युवा हैं और बात अंतरंग रिश्तों और प्यार-मुहब्बत की ही करते रहते हैं.बाप अपने पी.सी.पर बैठा ब्लाँग लिख रहा है..माँ अहा!ज़िन्दगी पढ़ रही है.बेटा-बेटी डाँक्टर लव और तंदूरी नाइट्स सुन रहे हैं.बताइये तो कोई क्या करे ? पी.सी. और पत्रिका बन्द कर सुन ले लग जाए ये शोज़..या दूसरे कमरे में चले जाए. दकियानूस नहीं हूं लेकिन ज़िन्दगी की कुछ सचाइयाँ तो वक़्त पर ही मालूम पड़ना चाहिये न.
आप क्या सोचते हैं..सच बताइयेगा.ऊपर लिखा भी सच्ची आपबीती है जनाब.
Friday, August 10, 2007
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1 comment:
शामिल हो जाइए रेडियो सुनने में। और बच्चों को भी चिट्ठा लिखने को प्रेरित करिए।
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