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Wednesday, April 30, 2008

मज़ा तो तब है जब नेताजी के मित्र-मंडल की आय भी नेताजी की मानी जाए

ख़बर तो दमदार है कि मतदाता अब राजनेताओं से उनका आयकर रिटर्न
मांग सकेगा. प्रश्न इतना भर है कि क्या आयकर रिटर्न में
जताई गई और बताई गई आय पारदर्शी और सही होगी ?
हम सब नहीं जानते की इन नेताओं की आय का लेखा
जोखा इस तरह से रखा जाता है कि जिससे नेताजी मामूली समाजसेवी
नज़र आएँ. जबकि सारा ज़माना जानता है राजनेता महंगे मोबाइल हैण्डसैट,विदेशी
कारों,भव्य बंगलों,परिजनों द्वारा ख़र्चीली शॉपिंग्स ,एकड़ों में फ़ैले फ़ॉर्म हाउसेज़,विदेश
यात्राओं,बच्चों की महंगे कालेजों में पढ़ाई,और सबसे महत्वपूर्ण अपने चुनाव अभियानों
या अपने नेताओं के स्वागत में जारी इश्तेहारों के करोंड़ों के बजट से सीधे संलग्न होते
हैं लेकिन ये सब किसी एजस्टमेंट के तहत नेताजी के स्वयं की आय से ख़र्च ही नहीं
होते.....तो आख़िर ये सब होता कैसे है ?

उत्तर आसान है कि कुछ आय स्रोत अपने नाम पर,कुछ ख़ानदान यानी परिवार के नाम पर कुछ कृषि आय से,कुछ पत्नी के नाम से,कुछ बेटे के नाम से और कुछ आय स्वयं की
सेवा के लिये खड़े किये गए स्वयं-सेवी संगठनों मे समायोजित की जाती है . अब आपको
नेताजी निरीह,ग़रीब और समाज-सेवी नज़र नहीं आएंगे तो क्या.

ऊपर जो इश्तेहारों के ख़र्च की चर्चा है उसमें मज़ा ये है कि नेताजी तो
इश्तेहार देते ही नहीं.....सारा ख़र्च ...फ़लाने नेताजी मित्र मंडल के नाम से होता है जिसमें
जुड़े होते हज़ारों ज़मीनी कार्यकर्ता...सबके नाम से चंदे की रसीद कट जाती है और बस
अख़बारों और होर्डिंग बनाने वाली एजेंसियों को भुगतान हो जाते हैं.
मज़ा तब है जब आयकर विभाग इस बात पर नज़र रखे कि
मित्र मंडल भी बाक़ायदा पैन नम्बर धारक हों यानी उनका पंजीयन भी बाक़ायदा विभागीय स्तर पर हो . इसके बाद भी यदि ये मित्र मंडल नौटंकी जारी रहती है तो इन इश्तेहारों के बारे में संबधित नेताजी को नोटिस जारी किये जाएँ कि आपने इस इश्तेहार का भुगतान कहाँ से और कैसे किया है.
किसको पड़ी है कि नेताजी रिटर्न की कॉपी मांगने जाएगा....
ख़ुद के काम तो निपटते नहीं और ज़िन्दगी फ़ुरसत देती नहीं कि इस तरह के काम करे.और शर्तिया ये बात भी कही जा सकती है कि यदि सूचना आयोग ने ये ख़बर जारी की हो नेताजी तो आज से ही सतर्क होकर इस साल का रिटर्न साफ़-सुथरा भरने वाले हैं......इन चोचलों से वाक़ई कुछ नहीं होने वाला
देश को चाहिये कुछ समझदार नागरिक और बहुत से टी.एन.शेषन.

3 comments:

Batangad said...

ये नेताजी की मित्रमंडली का पता कहां से चलेगा।

Udan Tashtari said...

इनकी कहानी है:

तू डाल डाल, मैं पात पात!!


-इतना आसां नहीं इन्हें जान पाना.

Sachin said...

acha likha he, me sehmat hu....lekin kya kare ye neta log RTI act ko bhi to dhata bata dete hain..sachin